
डायबिटीज जिसे सामान्यत मधुमेह कहा जाता है कई बीमारियों का एक समूह है, जिसमें लंबे समय तक रक्त में शुगर का स्तर अधिक होता है। उच्च ब्लड शुगर के लक्षणों में अक्सर पेशाब का आना होता है और कई बार भूख में वृद्धि भी देखी जाती है। डायबिटीज में कई प्रकार की परेशानियां भी देखी जाती हैं और यदि वक्त पर इस पर कंट्रोल नहीं किया गया तो यह मौत का कारण भी बन जाती है। इसके अलावा ओर्गन फेलियर भी डायबिटीज के कारण हो सकते हैं। वहीं हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी की विफलता, अल्सर और आंखों को नुकसान हो सकता है। डायबिटीज में हीमोग्लोबिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका काम फेफड़ों से शरीर की कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाना है और कार्बन डाइऑक्साइड को वापस ऑक्सीजन से भरना है। आपके लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा की निगरानी करना महत्वपूर्ण है।
डायबिटीज के कारण अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन को ठीक से प्रतिक्रिया नहीं दे पाती हैं।
बिना डायबिटीज वाले लोगों के लिए हीमोग्लोबिन एआईसी स्तर की सामान्य सीमा 4 प्रतिशत से 5.6 प्रतिशत के बीच होती है। हीमोग्लोबिन एआईसी का स्तर 5.7 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत के बीच होने का मतलब है की आपको प्रीडायबिटीज है और डायबिटीज होने की संभावना अधिक है। 6.5 प्रतिशत या उससे अधिक के स्तर का मतलब है कि आपको डायबिटीज है। एआईसी परीक्षण डायबिटीज प्रबंधन के लिए उपयोग किया जाने वाला प्राथमिक परीक्षण है। एआईसी परीक्षण एक रक्त परीक्षण है जो पिछले 3 महीनों में आपके औसत ब्लड शुगर के स्तर को दर्शाता है।
यदि आपको डायबिटीज है तो आपको एनीमिया के लिए नियमित रूप से अपने रक्त की जांच करानी होगी। डायबिटीज से अक्सर किडनी खराब हो जाती है। स्वस्थ किडनी को पता होता है कि आपके शरीर को कब नई लाल रक्त कोशिकाओं की जरूरत है। वे एरिथ्रोपोइटिन (ईपीओ) नामक एक हार्मोन छोड़ते हैं। क्षतिग्रस्त गुर्दे आपकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त ईपीओ नहीं भेजते हैं।
डायबिटीज वाले लोगों में रक्त वाहिकाओं में सूजन होने की संभावना अधिक होती है।
डायबिटीज के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ दवाएं आपके प्रोटीन हीमोग्लोबिन के स्तर को कम कर सकती हैं, जिसे आपको अपने रक्त के माध्यम से ऑक्सीजन ले जाने की आवश्यकता होती है।
किशोर मधुमेह
टाइप 1 डीएम पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय की विफलता का परिणाम है। इस रूप को पहले इंसुलिन–आश्रित मधुमेह मेलाईटस (आईडीडीएम) या किशोर डायबिटीज के रूप में जाना जाता था।
वयस्क शुरुआत मधुमेह
टाइप 2 डीएम इंसुलिन प्रतिरोध से शुरू होता है, एक हालत जिसमें कोशिका इंसुलिन को ठीक से जवाब देने में विफल होती है। जैसे–जैसे रोग की प्रगति होती है, इंसुलिन की कमी भी विकसित हो सकती है। इसे गैर इंसुलिन–आश्रित मधुमेह मेलेतुस (एनआईडीडीएम) या वयस्क–शुरुआत मधुमेह के रूप में जाना जाता था। इसका सबसे आम कारण अत्यधिक शरीर का वजन होना और पर्याप्त व्यायाम न करना है।
गर्भावधि मधुमेह (जैस्टेशनल डायबिटीज)
टाइप 3 डाइबिटीज गर्भवती महिलाओं में पाई जाती है गर्भावधि मधुमेह तब होता है जब डायबिटीज के पिछले इतिहास के बिना गर्भवती महिलाओं में उच्च ब्लड शुगर के स्तर का विकास होता है।
सेकेंडरी डायबिटीज
टाइप 4 डायबिटीज कुछ दवाओं की वजह से होती हैइस प्रकार की डायबिटीज इलाज करने मात्र से ही सही हो सकती है।
लक्षण
–बार–बार और बहुत ज्यादा प्यास लगना
–बार–बार पेशाब आना
–लगातार भूख लगना
–दृष्टी धुंधली होना
–अचानक वजन कम होना
–चिड़चिड़ापन और अन्य कमजोरी
–थकावट महसूस होना
–घाव ठीक न होना या देर से घाव ठीक होना
–बार–बार पेशाब या रक्त में संक्रमण होना
–खुजली या त्वचा रोग
–सिरदर्द